कर्मठ
जीवन खोने हेतु नही॑ कुछ पाने को है ।
कर्मछेत्र है कर्मठ ही बन जाने को है ॥
हिम्मत हार कभी पीछे मत मुड़ना सीखो ।
गिरकर उठकर हिम्मत करके बढ़ना सीखो ॥
कर्मठ बन कर कर्म करो कुछ पाओगे तुम,
कर्मठ हो विपदा में भी सुख पाओगे तुम ।.
लक्ष भेदना यूँ ही तो आसान न होगा,
लक्ष भेदने हेतु सदा कुछ करना होगा ॥
सतत् प्रयासों का फल कर्मठ को मिलता है,
कर्मठ के आगे लक्ष सदा झुक कर चलता है ।
लक्ष भेदने हेतु बढ़ो अर्जुन से आगे,
एक्लव्य तुम बनो द्रोण अगूँठा माँगे ॥
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